संकल्प है ज़िन्दगी में की मायूस न होंगे कभी;
किसी की आशा या किसी की निराशा से न बांधेगे खुद को कभी l
चाहे पिता की छाया हो या माँ का प्यार;
भाई बहनो की छुपम छुपाई हो या दादा दादी का दुलार ;
सब सहेज के रखेंगे यही ;
……… क्योकि संकल्प है रिश्तो का l
हमसफ़र संग ज़िंदगी की खूबसूरत शाम हो;
या लम्बे काम की थकान,हर दुःख बाटेंगे यही l
एक नए जीवन की शुरआत हो या एक सदी का अंत ;
ज़िंदगी के हर पड़ाव पर, सीखेंगे सिखाएंगे और आगे बढ़ेगे सभी l
न कोई कम न ,कोई ज़्यादा होगा ;
हर रिश्ता अपने आप में सुहाना होगा l
किसी की नाराज़गी किसी का गम हर चीज़ बाँट लेंगे हम ;
……… क्योकि संकल्प है रिश्तो का l
रिश्ते है ये जो सब सिखाते है, कभी अपना तो कभी पराया बनाते है ;
कभी हँसाते है तो कभी रुलाते है l
लेकिन जो भी खास है वो दिल के पास है ;
शहर अलग है गांव अलग है रहन सहन का अंदाज़ अलग है l
ये रिश्ते है जो खास है वही दिल के पास है ;
क्योकि संकल्प है रिश्तो का , उनको सहेजने का ;
वजूद इनसे है, बिना इनके इंसान अधूरा l
कवियत्री
शिखा मौर्य
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