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Writer's pictureShikha M

संकल्प रिश्तो का



संकल्प है ज़िन्दगी में की मायूस न होंगे कभी;

किसी की आशा या किसी की निराशा से न बांधेगे खुद को कभी l


चाहे पिता की छाया हो या माँ का प्यार;

भाई बहनो की छुपम छुपाई हो या दादा दादी का दुलार ;

सब सहेज के रखेंगे यही ;

……… क्योकि संकल्प है रिश्तो का l


हमसफ़र संग ज़िंदगी की खूबसूरत शाम हो;

या लम्बे काम की थकान,हर दुःख बाटेंगे यही l


एक नए जीवन की शुरआत हो या एक सदी का अंत ;

ज़िंदगी के हर पड़ाव पर, सीखेंगे सिखाएंगे और आगे बढ़ेगे सभी l


न कोई कम न ,कोई ज़्यादा होगा ;

हर रिश्ता अपने आप में सुहाना होगा l

किसी की नाराज़गी किसी का गम हर चीज़ बाँट लेंगे हम ;

……… क्योकि संकल्प है रिश्तो का l


रिश्ते है ये जो सब सिखाते है, कभी अपना तो कभी पराया बनाते है ;

कभी हँसाते है तो कभी रुलाते है l

लेकिन जो भी खास है वो दिल के पास है ;

शहर अलग है गांव अलग है रहन सहन का अंदाज़ अलग है l

ये रिश्ते है जो खास है वही दिल के पास है ;

क्योकि संकल्प है रिश्तो का , उनको सहेजने का ;

वजूद इनसे है, बिना इनके इंसान अधूरा l


कवियत्री

शिखा मौर्य


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