एक बड़ा ही अजीब सा वाकया था वो
जब हम मिले किसी अजनबी से।
कहने को थे उम्र में छोटे उनसे
हमें लगा उनमे समझदारी बड़ी होगी
बड़े जो थे हमसे
समय बिता जाना उन्हें
जानते जानते ये भी जाना
की उम्र बड़ी होने से समझदारी नहीं आती
वो तो आती है , जिंदगी के अनुभवों से।
कुछ लोगो के अनुभव सिमटे बड़ी उम्र में भी
कुछ के अपार बचपन में
वक्त बिता और हम ये समझे
न उम्र से, न देश से
समझदारी तो आती है हर पल के अंदेशे से
अपने अंदर चल रहे बवंडर को शांत करने से
क्योकि जो चीज़ है वो मन मदिर में
प्रेम हो चाहे नफरत
आँखो के सामने एक दुनिया जनि
और आँखो के सामने वो ही नश्वर
रहता है तो सिर्फ आपका कर्म
तो दुनिया संग चली या दुनिया में चली
फर्क किया तो समझदारी
फिर एक दिन ऐसा भी आया
जब हम फिर मिले
और देखते ही उन्होंने कहा
की आप तो समझदार है
मुस्कुराये हम समझ न पाए
की क्या ये प्रशंसा थी की आस
की गलती सामने से हो लेकिन आप कुछ नहीं कह सकते
क्योंकि आप समझदार जो है .............।
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