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कश्मकश में हम

  • Writer: Shikha M
    Shikha M
  • Apr 29, 2021
  • 1 min read

समझ नहीं आ रहा था की क्या थी ज़िन्दगी ,

एक पल को यूं लगा की अकेले थे हम

फिर दूसरे पल लगा जैसे अकेले नहीं है हम

वो बहुत खास थे लेकिन पास नहीं थे

न जाने कहा थे अब तक

उनकी शरारते और वो बचकानी हरकतें,

हमें यू ही परेशान करना

मानो जैसे एक नए वक़्त की शुरुआत है l


हर पल खुशनुमा हर पल आज़ादी,

एक जगह जहा हम सुकून से सर रख सके

अपने दिल की बात कह सके एक कन्धा जहा हम रो सके

लगा यु जैसे वो ही है सब कुछ

हर पल हसी था और उनसे जुडी यादें भी l


फिर अचानक एक दिन,

वो बिना कुछ कहे यु ही कही चले गए l

समझना मुश्किल था उन्हें,

कोशिश की हज़ार

हर बार उनकी ख़ामोशी कुछ कह जाती थी।


लेकिन आज लगा यु कि,

ख़ामोशी भी खामोश है उनकी

क्योकि कश्मकश में थी ज़िन्दगी

उनकी भी और हमारी भी l


क्या वजह थी जो न मिल पाए

गिला नहीं है , शिकवा नहीं है नहीं आँखे नम

बस जहन में एक सवाल था ,

कि क्या कारण था वो जो हम साथ न हो सके ?


उनकी एक आवाज़ के लिए आज भी तरसते है हम


बदला यु ज़माना फिर

चले हम अपने रस्ते,

शहर नया है लोग नए है l

रहन सहन के तरीके अलग है

एक सा है तो ये मन l


जो आज भी सवाल पूछता है ;


क्योकि कश्मकश में थी ज़िन्दगीऔरहम…….

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